नीम का वृक्ष हर मुहल्ले,
गली, बगीचे और सड़क किनारे में देखने को मिल सकता है। यह एक विशाल वृक्ष होता है जिसकी ऊंचाई 20 फीट से 50 फीट होती है। इस वृक्ष में चारों ओर शाखाएं तथा प्रशाखाएं निकली रहती हैं और पत्तियां
शाखाओं पर
समूह के क्रम में होती हैं। शाखा का अंतिम भाग कोमल होते हैं जिसको कोपल कहते हैं। इसके फल लंबे, गोल, कच्ची अवस्था में हरे और पकने पर पीले होते हैं। नीम की छाल मोटी, रेशेयुक्त तथा खुरदरी होती है। पत्ते 1 इंच
से 3 इंच
लंबे व आधे से पौने इंच चैड़े पये जाते हैं।
इसके पत्ते स्वाद में कड़वे होते हैं। इसके नये पत्ते कोमल, सुंदर तथा लालिमा युक्त होते हैं। नीम
के फूल
सफेद गुच्छों में होते हैं और इसकी सुगंध चारां तरफ फैलती रहती है। नीम के फल को निम्बोली या निमोरी
कहते हैं। नीम
में एक तरल पदार्थ पाया जाता है जिसे मार्गोसीन कहते हैं जो
कोढ़ रोग का नाशक होता है तथा सभी प्रकार के चर्म रोगों को ठीक कर सकता है। नीम रोगनाशक होता
हैं। चेचक के रोग ठीक करने में नीम अमृत के समान काम करती है। यब कीटनाशक भी होता है।
जिस स्थान पर यह होता है उस स्थान के एक किलोमीटर के घेरे तक का वातावरण शुद्ध रहता है और यह घातक कीटाणुओं का भी नाश करता है।
Read more click here
No comments:
Post a Comment