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Monday 23 March 2015

Pet dard se Aaram ke liye Ayurvedic Nuskhe

पेट दर्द से आराम के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे


हालांकि इस तरह के पेट दर्द के लिए आज भी हमारे घरों में Ayurvedic नुस्खे काम में लाये जाते हैं
गलत खान पान अथवा अपच के वजह होने वाले पेट दर्द के लिए Ayurved में कुछ नुस्खे बताए गऐ हैं। जिनका यदि प्रयोग किया जाए तो पेट दर्द कि समस्यां से बचा जा सकता है। हालांकि इस तरह के पेट दर्द के लिए आज भी हमारे घरों में Ayurvedic नुस्खे काम में लाये जाते हैं और उनसे आराम भी मिलता है। ऐसे ही कुछ नुस्खे आपको बता रहा हूँ :- 
1.       अदरक और लहसुन को बराबर कि मात्रा में के साथ पीस लें और 1 spoon कि मात्रा में जल के साथ लेने करने से पेट दर्द में लाभ मिलता है।
2.      1 gram काला नमक और दो Grams अजवायन गर्म जल के साथ लेने करने से पेट दर्द में लाभ मिलता है।
3.      अमरबेल के बीजों को जल से के साथ पीस लें और बनाए गये लेप को पेट पर लगाकर कपडे से बाँधने से गैस कि समस्या,डकारें आना,अपानवायु न निकलना,पेट दर्द और मरोड़ जैसे कष्ट दूर हो जाते हैं।
4.     सौंठ,हींग और कालीमिर्च का चूर्ण (Powder) बराबर कि मात्रा में मिलाकर 1 spoon कि मात्रा में गर्म जल के साथ लेने से पेट दर्द में तुरंत आराम मिलता है।
5.     जटामांसी,सौंठ,आंवला और काला नमक बराबर कि मात्रा में पीस लिजिएं और 1-1 spoon कि मात्रा में तीन time लेने से भी पेट दर्द से राहत मिलती है।
6.      जायफल का एक चौथाई spoon चूर्ण (Powder) गर्म जल के साथ लेने करने से भी पेट दर्द में आराम पहुँचता है।
7.     पत्थरचट्टा के 2-3 पत्तों पर हल्का नमक लगाकर या पत्तों के 1 spoon रस में सौंठ का चूर्ण (Powder) मिलाकर खिलाने से पेट दर्द से राहत मिलती है।
8.      सफ़ेद मुसली और दालचीनी को समभाग में मिलाकर पीस लिजिएं। 1 spoon कि मात्रा में जल के साथ लेने करने से 2-3 Dose में ही पूरा आराम मिल जाता है।
Related Links: आयुर्वेद   |   आयुर्वेदिक औषधियां   |  रोग और उपचार

Saturday 21 March 2015

Safed Kushth

सफेद कुष्ठ (सफेद दाग)


प्रत्येक मनुष्य को कोई न कोई बीमारी है ही। इससे यही सिद्ध होता है
जिस भी किसी व्यक्ति को सफेद दाग हो जाते हैं, उसे समाज हेय दृष्टि से देखता है। यहां तक कि जिस बच्चे या बच्ची के सफेद दाग होता है उसकी शादी तक रुक जाती है, जिसकी वजह से मानसिक क्लेस होता है और समाज यह कहता है कि यह अपने बुरे कर्मो का फल भोग रहा है। कुछ हद तक यह बात सही भी है। but यदि रोग के विषय में सोचा जाये तो कोई भी रोग हो वह पीड़ादायक होता है और यहंा तक मेरा मानना है कि कोई भी मनुष्य इन रोगों से नही बचा है, प्रत्येक मनुष्य को कोई न कोई बीमारी है ही। इससे यही सिद्ध होता है कि प्रत्येक मनुष्य अपने-अपने बुरे कर्मो के अनुसार अलग-अलग रोगों के कष्ठों को झेलता है। but, प्रकृतिसत्ता माता आदिशक्ति जगत जननी जगदम्बा जी ने इन रोगों से उबरने के रास्ते भी Ayurved और अन्य अनेक विधाओं के माध्यम से बताये है, जिन्हें अपना कर हम इन कष्टदायक रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। यहां हम सफेद दाग सही करने वाले अपने अनुभवगम्य नुस्खे लिख रहें हैं पाठक गण इनका लाभ अवश्य उठायें । 
सफेद दाग क्या है ?
सफेद दाग भी एक तरह का कुष्ठ ही है, इसमें कुष्ठ की तरह चमड़ा खराब जाता है। इसमें त्वचा सफेद पड़ जाती है। यह दो तरह का होता है- पहला सफेद और दूसरा लाल। but, दोनों पीड़ा दायक ही हैं। गलित कुष्ठ और सफेद कुष्ठ में अन्तर यह है कि गलित कुष्ठ (कोढ़) टपकता है दूसरे शब्दों में अंगों में गलन चालू हो जाया करती है, अंग गल-गल कर गिरने लगते हैं और सफेद दाग में त्वचा सफेद या लाल कलर की हो जाया करती है। कोढ़ वात पित्त और कफ तीनों दोषों के कारण होता है, but सफेद दाग केवल एक दोष से होता है। कोढ़ रसादि समस्त धातुओं में रहता है पर सफेद दाग रुधिर, मांस और मेद में रहता है, बस यही गलित कोढ़ और सफेद कोढ़ (सफेद दाग) में अन्तर है। चरक, भाव प्रकाश आदि ग्रन्थों में अलग-अलग तरह से एक ही बात कही है कि वात से संबंधित सफेद दाग से पित्त से संबंधित और पित्त से संबंधित सफेद दाग से कफ से संबंधित सफेद दाग भारी होता है। जो सफेद दाग काले रोमों वाला, पतला, रुधिर युक्त और तत्काल का नया हो तथा आग से जलकर न हुआ हो, वह साध्य होता है। इसके सिवा सफेद दाग असाध्य होता है। 
खुजली, कोढ़, उपदंश, आतशक, भूतोन्माद, व्रण, ज्वर, हैजा, यक्ष्मा (टी.वी.) आंख दुखना, चेचक, जुकाम आदि छुतहे रोगों की श्रेणी में आते हैं। अतः ऐसे रोगियों के कपड़े, बिस्तर, खाने के बर्तन, मुहं की सांस आदि से बचना चाहिए, नहीं तो रोग फैलने का डर रहता है और ऐसे रोगियों का उपचार जल्दी ही करनी चाहिये जिसकी वजह से यह disease आगे न फैल सके।  
सफेद दाग निवारक नुस्खे  
1- पैर में मसलने की औषधि 
कड़वा ग्वारपाठा (कड़वी घृतकुमारी) के गूदा को पीतल या कांसे या स्टील की थाली में डालकर उसमें बीमार व्यक्ति के दोनों पैर गूदे में तब तक घिसे हैं, जब तक कि बीमार व्यक्ति के मुंह में कड़वापन आ जाये। शुरू में 30 minute में मुंह कड़वा हो जाता है और बाद में कम Time में ही मुंह में कड़वापन बन जाता है। यह क्रिया Daily दोनों Time लगातार at least 90 दिन तक या अधिक दाग सही होने तक करनी है। इस क्रिया से खून की सफाई होती है और जो भी खाने व दागों मे लगाने की औषधि दी जाती है वह जल्दी असर करती है। इसलिये सफेद दाग के बीमार व्यक्ति को यह औषधि का सेवन जरूर करना चाहिये। 
2- सफेद दागों पर लगानें की औषधि- 
(अ) 100 grams एल की जड़ की छाल, 100 grams तेन्दू की जड़ की छाल, 30 grams सफेद अकौवा (श्वेतार्क) के पत्ते की भस्म, 30 grams देशी खैर को कूट-के साथ पीस लें और महीन बारीक करें और 30 grams बाबची के तेल में मिलाकर रख लिजिएं। सफेद दागों पर इसका गौमूत्र के साथ मिलाकर सुबह-शाम लेप करें। यह लेप लगातार दाग सही होने तक धैर्य पूर्वक करें। इससे दाग निश्चय ही सही होते हैं, Time जरूर लगता है।  
(ब) गुलाब के  ताजे फूल 50 grams, अनार के ताजे फूल 50 grams तथा सफेद आक के पत्ते 10 नग, इन सबको गौमूत्र के साथ के साथ पीस लें और इसमें बाबची का तेल 30 grams मिलाकर रख लिजिएं। इस लेप को सफेद दागों पर Daily दोनों Time लगायें, इससे भी सफेद दाग त्वचा के रंग के हो जाते हैं। यह औषधि धैर्य के साथ दाग सही होने तक लगायें। 
(स) मालकागनी को 21 दिन तक गौमूत्र में रखने के बाद उसका तेल निकाल लिजिएं। उसको Daily दोनों Time सफेद दागों पर दाग सही होने तक लगायें, इससे भी सफेद दाग सही होते हैं।    
3- सफेद दागों पर खाने की औषधि- 
(क) त्रिफला 50 grams, बायबिरंग 50 grams, स्वर्णक्षीरी की जड़ 20 grams, मेंहदी के फूल या छाल 20 grams, चित्रक 10 grams, असन के फूल 50 grams, अमरबेल 50 grams, शुद्ध बाबची 50 grams, इन सबको कूट-के साथ पीस लें और बारीक चूर्ण (Powder) बना लिजिएं और एक डिब्बे में रख लिजिएं। 3 Grams औषधि को गौमूत्र अर्क 10 grams के साथ रात को सोते Time Daily at least 180 दिन या रोग सही होने तक का लें। 
नोट- बाबची को शुद्ध करने के लिये उसके बीजों को गौमूत्र में morning भिगो दें। 24 घंटे बाद गौमूत्र बदल दें। गौमूत्र बदलने की यह क्रिया 6 दिन लगातार करें। फिर बाबची को गौमूत्र से निकालकर धूप में सुखा लिजिएं। इससे बाबची पूर्णतः शुद्ध हो जाया करती है। इसे ही औषधि बनाने के सेवन में लिजिएं।
(ख) कालीमिर्च, सौंफ, असगंध, सतावर, सेमरमूसर ब्रह्मदण्डी, इन सभी को कूट-के साथ पीस लें और इन सबके बराबर मिश्री मिलाकर डिब्बे में रख लिजिएं। तीन Grams औषधि खाली पेट morning गाय के घी के साथ खायें और उसके 1 घंटे बाद तक कुछ न खायें। यह औषधि रोग सही होने के एक महीने बाद तक खानी है। इससे खून शुद्ध होता है और सफेद दाग वाली त्वचा अपने ओरिजनल कलर में धीरे-धीरे आ जाती है। 
(ग) असली मलयागिरी चन्दन बुरादा 50 grams, चाँदी की भस्म 12 Grams, सफेद मूसली 100 grams, कंुजा मिश्री 100 grams, छोटी इलायची 100 दाना, इन सभी को कुट-के साथ पीस लें और एक डिब्बे में रख लिजिएं। 10 grams औषधि को 5 grams गौमूत्र अर्क के साथ morning Breakfast के पहले और शाम को खाना खाने के बाद 120 दिन तक लगातार लिजिएं। साथ ही इस औषधि के खाने के एक घंटे बाद खदिरारिष्ट तथा कुमारीआशव की चार-चार ढक्कन दोनों औषधियों को मिलाकर पीयें। इससे भी सफेद दाग सही हो जाते हैं। 
नमक का परहेज आवश्यक है यदि हम औषधि सेवन Time में नमक का सेवन करेंगे तो औषधि का पूर्ण लाभ नहीं मिल पायेगा। साथ ही खटाई, तली चीजें, लाल मिर्च आदि का सेवन और मांसाहार और शराब पूर्णतः वर्जित र्है।

Saturday 14 March 2015

Krimi Rog

कृमि रोग


यह पेट की आंतो को काटकर खून पीते है जिसकी वजह से आंतो में सूजन आ जाती है।
ये कीड़े दुनियां के समस्त स्त्री-पुरुष व बच्चों में पाये जाते हैं। यह छोटे-बडे 1 सेन्टीमीटर से 1मीटर तक लम्बे हो सकते हैं और इनका जीवनकाल 10से12वर्ष तक होता है। यह पेट की आंतो को काटकर खून पीते है जिसकी वजह से आंतो में सूजन आ जाती है। साथ ही यह कीड़े जहरीला मल विसर्जित भी करते हैं जिसकी वजह से पूरा पाचन तंत्र खराब जाता है। यह जहरीला पदार्थ आंतो द्वारा खींचकर खून में मिला दिया जाता है जिसकी वजह से खून में खराबी आ जाती है। यही गंदे खून पूरे body के सभी अंगों जैसे हृदय, फेफड़े, गुर्दे, मस्तिष्क आदि में जाता है जिसकी वजह से इनका कार्य भी बाधित होता है और अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और अनेक रोग हावी हो जाते हैं। इसलिये प्रत्येक मनुष्य को प्रतिवर्ष कीड़े की औषधि जरूर लेनी चाहिए। एलोपैथिक औषधियों में अधिकतर कीड़े मर जाते हैं, but जो अधिक खतरनाक कीड़े होते हैं, जैसे- गोलकृमि, फीताकृमि, कद्दूदाना आदि, जिन्हें पटार भी कहते हैं, वे नहीं मरतें हैं। इन कीड़ों पर एलोपैथिक औषधियों को कोई प्रभाव नहीं पडता है, इन्हें केवल Ayurvedic Aushdhiya से ही खत्म हो सकता है। ये कीड़े मरने के बाद फिर से हो जाते हैं। इसका कारण खान-पान की अनियमितता है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिये प्रत्येक वर्ष कीड़े की औषधि अवश्य लेनी चाहिए।  
कृमि रोग की चिकित्सा 
1- बायबिरंग, नारंगी का सूखा छिलका, चीनी को समभाग के साथ पीस लें और रख लिजिएं। 6 Grams चूर्ण (Powder) को सुबह में खाली पेट सादे जल के साथ 10 दिन तक Daily लिजिएं। दस दिन बाद कैस्टर आयल (अरंडी का तेल) 25 grams की मात्रा में शाम को बीमार व्यक्ति को पिला दें। सुबह में मरे हुए कीड़े निकल जायेंगे।
2- पिसी हुई अजवायन 5 grams को चीनी के साथ लगातार 10 दिन तक सादे जल से खिलाते रहने से भी कीड़े शौच के साथ मरकर निकल जाते हैं।
3- पका टमाटर दो नग, कालानमक डालकर morning-morning 15 दिन लगातार खाने से बालकों के चुननू आदि कीड़े मरकर शौच के साथ निकल जाते हैं। सुबह में खाली पेट ही टमाटर खिलायें, खाने के एक घंटे बाद ही कुछ खाने को दें।
4- बायबिरंग का पिसा हुआ चूर्ण (Powder) तथा त्रिफला चूर्ण (Powder) समभाग को 5 grams की मात्रा में चीनी या गुड़ के साथ सुबह में खाली पेट और रात को खाने के आधा घंटे बाद सादे जल से लगातार 10 दिन दें। सभी प्रकार के कृमियों के लिए लाभदायक है।
5- नीबू के पत्तों का रस 2 grams में 5 या 6 नीम के पत्ते के साथ पीस लें और शहद के साथ 9 दिन खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
6- पीपरा मूल और हींग को मीठे बकरी के दूध के साथ 2 grams की मात्रा में 6दिन खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
Related Links: पेट के कीड़े मारने का उपचार   |     रोग और उपचार

Friday 13 March 2015

Health Treatment Gallery for you

हैल्थ गैलरी आपके लिए


http://www.jkhealthworld.com/hindi/बादाम
बादाम एक आयुर्वेदिक औषधि है और इससे कई प्रकार के रोगों को ठीक किया जा सकता है, जानने के लिए यहां पर Click करें और जनक्लयाण के लिए Share करें- बादाम से उपचार
http://www.jkhealthworld.com/hindi/सेब
आयुर्वेद में सेब से कई प्रकार के रोगों का उपचार किया जाता है, जानने के लिए यहा पर Click करें तथा जनक्लयाण के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों के पास Share करें- सेब से उपचार
http://www.jkhealthworld.com/hindi/केला
केला एक पौष्टिक आहार है और कई प्रकार के रोगों को ठीक करने में इसका उपयोग किया जा सकता है। जाने कैसे- केले से उपचार
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अनन्नास से भी कई प्रकार के रोगों का ईलाज किया जा सकता है जाने कैसे- अनन्नास से उपचार
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आयुर्वेद में सेब से कई प्रकार के रोगों का उपचार किया जाता है, जानने के लिए यहा पर Click करें तथा जनक्लयाण के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों के पास Share करें- सेब से उपचार
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तुलसी बहुत ही लाभदायक पौधा होता है और इससे कई प्रकार के रोगों को असानी से ठीक किया जा सकता है, जानने के लिए यहा पर Click करें तथा जनक्लयाण के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों के पास Share करें- तुलसी से उपचार
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बादाम एक आयुर्वेदिक औषधि है और इससे कई प्रकार के रोगों को ठीक किया जा सकता है, जानने के लिए यहां पर Click करें और जनक्लयाण के लिए Share करें- बादाम से उपचार
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आयुर्वेद में सेब से कई प्रकार के रोगों का उपचार किया जाता है, जानने के लिए यहा पर Click करें तथा जनक्लयाण के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों के पास Share करें- सेब से उपचार
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केला एक पौष्टिक आहार है और कई प्रकार के रोगों को ठीक करने में इसका उपयोग किया जा सकता है। जाने कैसे- केले से उपचार

Kapha

कफ


       Ayurved के अनुसार त्रिधातु में बंटा है जब तक शरीर में त्रिधातु (बात, पित्त, कफ) समानता की अवस्था में रहते है, वह स्वस्थ होता है। लेकिन उनकी असामानता की अवस्था में बहुत से रोगों का उत्पत्ति होती है, इस बार हम त्रिधातु के तीसरे अंग कफ के बारे में यहां पर जानकारी दे रहें है। कफ चिकना, भारी, सफेद, पिच्छिल (लेसदार) मीठा तथा शीतल(ठंडा) होता हैं। विदग्ध(गंदे) होने पर इसका स्वाद नमकीन बन जाता है। कफ से संबंधित समस्या लगभग 31 प्रतिशत व्यक्तियों को रहती है।
विदग्ध(गंदे) होने पर इसका स्वाद नमकीन बन जाता है। कफ से संबंधित समस्या लगभग 31 प्रतिशत व्यक्तियों को रहती है।
यह शरीर
 कफ के स्थान, नाम और कर्म
    पेट में, सिर (मस्तिष्क) में, हृदय में और सन्धियों (जोड़ों) में रहकर शरीर की स्थिरता और पुष्टि को करता है।    
1- जो कफ पेट में अन्न को पतला करता है, उसे क्लेदन कहते हैं।
2- जो कफ मस्तिष्क में रहता है, वह ज्ञानेन्द्रियों को तृप्त और स्निग्ध करता है। इसलिये 
 उसको स्नेहन कफ कहते हैं।
3- जो कफ कण्ठ में रहकर कण्ठ मार्ग को कोमल और मुलायम रखता है तथा जिव्हा की रस ग्रन्थियों को क्रियाशील बनाता है और रस व ज्ञान की शक्ति उत्पन्न करता है,उसको रसन कफ कहते हैं।
4- हृदय में (समीपत्वेन उरःस्थित) रहने वाला कफ अपनी स्निग्धता और शीतलता से सर्वदा हृदय की रक्षा करता है। अतः उसको अवलम्बन कफ कहते हैं।
5- सन्धियों (जोड़ों) में जो कफ रहता है, वह उन्हें सदा चिकना रखकर कार्यक्षम बनाता है। उसको संश्लेष्मक कफ कहा जाता है।
Related Links:  Health world in Hindi   |   आयुर्वेदिक औषधियां से उपचार

Thursday 12 March 2015

Bhojan ka prabhav

भोजन का प्रभाव

भोजन नियम से, मौन रहकर एवं शांतचित्त होकर करो। जो भी सादा भोजन मिले, उसे भगवान का प्रसाद समझकर खाओ।
"भोजन पूर्ण रूप से सात्त्विक होना चाहिए। राजसी एवं तामसी आहार शरीर एवं मन-बुद्धि को रुग्ण तथा कमजोर बनाता है। जैसा खाये अन्न, वैसा बने मन।"
सुखी रहने के लिए स्वस्थ रहना आवश्यक है। शरीर स्वस्थ तो मन स्वस्थ। शरीर की तंदरुस्ती भोजन, व्यायाम आदि पर निर्भर करती है। भोजन कब एवं कैसे करें, इसका ध्यान रखना चाहिए। यदि भोजन करने का सही ढंग आ जाय तो भारत में कुल प्रयोग होने वाले खाद्यान्न का पाँचवाँ भाग बचाया जा सकता है। भोजन नियम से, मौन रहकर एवं शांतचित्त होकर करो। जो भी सादा भोजन मिले, उसे भगवान का प्रसाद समझकर खाओ। हम भोजन करने बैठते हैं तो भी बोलते रहते हैं। ʹपद्म पुराणʹ में आता है कि ʹजो बातें करते हुए भोजन करता है, वह मानो पाप खाता है।ʹ कुछ लोग चलते-चलते अथवा खड़े-खड़े जल्दबाजी में भोजन करते हैं। नहीं। शरीर से इतना काम लेते हो, उसे खाना देने के लिए आधा घंटा, एक घंटा दे दिया तो क्या हुआ ? यदि रोगों से बचना है तो खूब चबा-चबाकर खाना खाओ। एक ग्रास को कम-से-कम 32 बार चबायें। एक बार में एक तोला (लगभग 11.5 grams) से अधिक दूध मुँह में नहीं डालना चाहिए। यदि घूँट-घूँट करके पियेंगे तो एक पाव दूध भी ढाई पाव जितनी शक्ति देगा। चबा-चबाकर खाने से कब्ज दूर होती है, दाँत मजबूत होते हैं, भूख बढ़ती है तथा पेट की कई बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं।
भोजन पूर्ण रूप से सात्त्विक होना चाहिए। राजसी एवं तामसी आहार शरीर एवं मन बुद्धि क रूग्ण तथा कमजोर बनाता है। भोजन करने का गुण शेर से ग्रहण करो। न खाने योग्य चीज को वह सात दिन तक भूखा होने पर भी नहीं खाता। मिर्च मसाले कम खाने चाहिए। मैं भोजन पर इसलिये जोर देता हूँ क्योंकि भोजन से ही शरीर चलता है। जब शरीर ही स्वस्थ नहीं रहेगा तो साधना कहाँ से होगी। भोजन का मन पर भी प्रभाव पड़ता है। इसीलिए कहते हैं- "जैसा खाये अन्न, वैसा बने मन।" अतः सात्त्विक एवं पौष्टिक आहार ही लेना चाहिए।
मांस, अंडे, शराब, बासी, जूठा, अपवित्र आदि तामसी भोजन करने से शरीर एवं मन-बुद्धि पर घातक प्रभाव पड़ता है, शरीर में बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। बुद्धि स्थूल एवं जड़ प्रकृति की हो जाया करती है। ऐसे व्यक्तियों का हृदय मानवीय संवेदनाओं से शून्य बन जाता है।
खूब भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए। खाने का अधिकार उसी को है जिसे भूख लगी हो। कुछ नासमझ लोग स्वाद लेने के लिए लगातार खाते रहते हैं। पहले का खाया हुआ पूरा पचा न पचा कि ऊपर से दुबारा ठूँस लिया। ऐसा नहीं करें। भोजन स्वाद लेने की वासना से नहीं अपितु भगवान का प्रसाद समझकर स्वस्थ रहने के लिए करना चाहिए।
बंगाल का सम्राट गोपीचंद संन्यास लेने के बाद जब अपनी माँ के पास भिक्षा लेने आया तो उसकी माँ ने कहाः "बेटा। मोहनभोग ही खाना।" जब गोपीचंद ने पूछाः "माँ। जंगलों में कंदमूल-फल एवं रूखे-सूखे पत्ते मिलिजिएंगे, वहाँ मोहनभोग कहाँ से खाऊँगा ?" तब उसकी माँ ने अपने कहने का तात्पर्य यह बताया कि "जब खूब भूख लगने पर भोजन करेगा तो तेरे लिए कंदमूल-फल भी मोहनभोग से कम नहीं होंगे।"
चबा-चबाकर भोजन करें, सात्त्विक आहार लिजिएं, मधुर व्यवहार करें, सभी में भगवान का दर्शन करें, सत्पुरुषों के सान्निध्य में जाकर आत्मज्ञान को पाने की इच्छा करें तथा उनके उपदेशों का भलीभाँति मनन करें तो आप जीते जी मुक्ति का अनुभव कर सकते हैं।
अजीर्णे भोजनं दुःखम्। ʹअजीर्ण में भोजन ग्रहण करना दुःख का कारण बनता है।ʹ
"जो विद्यार्थी ब्रह्मचर्य के द्वारा भगवान के लोक को प्राप्त कर लेते हैं, फिर उनके लिए ही वह स्वर्ग है। वे किसी भी लोक में क्यों न हों, मुक्त हों।"
Related Links:  आहार चिकित्सा   |  खाद्य चिकित्सा

Tuesday 3 December 2013

Kuchh-hi-dino-men-gora-banane-ka-upay

कुछ ही दिनों में गोरा बनने का उपाय
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आज हर कोई अपनी रंगत गोरा करना चाहता है और इसके लिए वे कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। इसी चीज को ध्यान में रखते हुए आज बहुत सी कंपनियां ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट  बाजार में उतारी हैं वे ऐसे दावा करते हैं कि आपको 7 से 10 दिनों में गोरा बना देगें लेकिन क्या आप उन पर विशवास कर सकते हैं। हमे कभी भी इन बाजारू चीजों पर अपने पैसे खर्च नहीं करने चाहिए क्यो कि यदि इनके दावे गलत हुए तो आपके शरीर का नुकशान हो सकता है। इस चीज को हमें स्वयं ही तय करना चाहिए कि हम कीन चीजो का इस्तेमाल करे और किसका नहीं। आप बाजारू चीजों कि जगह पर घरेलू चीजों को अपना सकते हैं जो स्वस्थ्य के अनुसार ठीक भी होगा और फायदेमंद भी। घरेलू चीजों का इस्तेमाल करने से आप गोरी-गोरी त्वचा भी प्राप्त कर सकती है और स्वास्थ्य को भी ठीक कर सकती है। चेहरे की रंगत को गोरी करने के लिये आप दिन में 3 से 4 बार चेहरे को धोए और चेहरे पर घरेलू फेस पैक लगाए। दिन में दही और पपीते से चेहरे की मालिश करे या फिर नींबू से चहरे को दिन में एक बार साफ करे। यदि आपने इस प्रकार से 7 दिनों तक अपने चेहरे का उपचार किया तो आपको खुद ही महसुस होने लगेगा कि आपका चेहरा गोरा होने लगा है। उपचार के समय आप ज्यादा से ज्यादा पानी पीयें ऐसा करने से शरीर की गंदगी बाहर निकल जाती है और आपका चेहरा प्राकृतिक रूप से गोरा होने लगता है। इसलिए यदि आपको गोरा होना है तो घरेलू उपचार को अपनाए बाजार का प्रोडक्ट नहीं।
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शरीर के अंगों को सुंदर बनाएं
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