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Friday 13 March 2015

Kapha

कफ


       Ayurved के अनुसार त्रिधातु में बंटा है जब तक शरीर में त्रिधातु (बात, पित्त, कफ) समानता की अवस्था में रहते है, वह स्वस्थ होता है। लेकिन उनकी असामानता की अवस्था में बहुत से रोगों का उत्पत्ति होती है, इस बार हम त्रिधातु के तीसरे अंग कफ के बारे में यहां पर जानकारी दे रहें है। कफ चिकना, भारी, सफेद, पिच्छिल (लेसदार) मीठा तथा शीतल(ठंडा) होता हैं। विदग्ध(गंदे) होने पर इसका स्वाद नमकीन बन जाता है। कफ से संबंधित समस्या लगभग 31 प्रतिशत व्यक्तियों को रहती है।
विदग्ध(गंदे) होने पर इसका स्वाद नमकीन बन जाता है। कफ से संबंधित समस्या लगभग 31 प्रतिशत व्यक्तियों को रहती है।
यह शरीर
 कफ के स्थान, नाम और कर्म
    पेट में, सिर (मस्तिष्क) में, हृदय में और सन्धियों (जोड़ों) में रहकर शरीर की स्थिरता और पुष्टि को करता है।    
1- जो कफ पेट में अन्न को पतला करता है, उसे क्लेदन कहते हैं।
2- जो कफ मस्तिष्क में रहता है, वह ज्ञानेन्द्रियों को तृप्त और स्निग्ध करता है। इसलिये 
 उसको स्नेहन कफ कहते हैं।
3- जो कफ कण्ठ में रहकर कण्ठ मार्ग को कोमल और मुलायम रखता है तथा जिव्हा की रस ग्रन्थियों को क्रियाशील बनाता है और रस व ज्ञान की शक्ति उत्पन्न करता है,उसको रसन कफ कहते हैं।
4- हृदय में (समीपत्वेन उरःस्थित) रहने वाला कफ अपनी स्निग्धता और शीतलता से सर्वदा हृदय की रक्षा करता है। अतः उसको अवलम्बन कफ कहते हैं।
5- सन्धियों (जोड़ों) में जो कफ रहता है, वह उन्हें सदा चिकना रखकर कार्यक्षम बनाता है। उसको संश्लेष्मक कफ कहा जाता है।
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